छेरिंग डोलमा की शादी रारिक गांव में हुई है। शिक्षा और बच्चों के प्रति उनके इस लगाव की घाटी के लोग खूब सराहना कर रहे हैं। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के कारण प्रदेश के शैक्षणिक संस्थान तीन महीने से बंद हैं। बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई करवाने के लिए भी जद्दोजहद चल रही है, लेकिन घाटी में सिगनल की समस्या भी इसमें बाधक बन रही थी। ऐसे में शिक्षिका ने बच्चों को अपने घर में ही पढ़ाना शुरू कर दिया।
बच्चों की संख्या न के बराबर होने से घाटी के छिक्का, रारिक और लिम्क्युम गांवों में पिछले कई वर्षों से स्कूल बंद हैं। छेरिंग डोलमा ने पहली से पांचवीं कक्षा तक तीनों गांवों से बच्चों का मेह स्कूल में दाखिला करवाया है। उधर, बीपीओ केलांग शामलाल राशपा ने कहा कि क्षेत्र में नेटवर्क की दिक्कत है। इसके चलते शिक्षिका ने इन बच्चों को अपने परिवार का सदस्य बना लिया है। प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश ने कहा कि शिक्षिका छेरिंग डोलमा अन्य अध्यापकों के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं।